
दीपावली पर कविता | दीवाली पर कविता – Deepawali Par Kavita in Hindi 2018
दीपावली पर कविता 2018: इस दिन प्रभु राम (भगवान राम), माता सीता और भ्राता लक्ष्मण जी के साथ रावण का वध करके अयोध्या वापिस लोटे थे. उनके अयोध्या वापिस लोटने की ख़ुशी में अयोध्या वासियों ने उनका दीयों से स्वागत किया था तभी से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. आज इस लेख में मै आप सभी के साथ दीपावली पर कविता, दीवाली पर कविता, Deepawali Par Kavita in Hindi शेयर करूंगा| परंतु अगर आप इसके विपिरिक्त दिवाली शायरी, दिवाली कोट्स अथवा दिवाली विशेस डाउनलोड करना चाहते हो तो आप नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करे.
Deepawali Par Kavita in Hindi For Whatsapp
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे,
मिलजुल यह त्यौहार मनायेंगे..
चोदह साल काटा वनवास,
राम जी आये भक्तों के पास,
खुशियों के दीप जलायेंगे,
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे…दिल से सारे वैर भूला कर,
इक-दूजे को गले लगाकर,
सब शिकवे दूर भगायेंगे,
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे…चल रहे है बम्ब-पटाखे,
शोर मचाते धूम-धड़ाके,
संग सब के ख़ुशी मनायेंगे.
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे…
दीपावली पर कविता | दीवाली पर कविता
मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार,
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार,
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार,
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार…मुझको जो भी मिलना हो, वह तुमको ही मले दोलत,
तमन्ना मेरे दिल की है, सदा मिलती रहे शोहरत,
सदा मिलती रहे शोहरत, रोशन नाम तेरा हो
कामो का ना तो शाया हो निशा में न अँधेरा हो…दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक
जलाओ प्रेम के दीपक, अँधेरा दूर करना है
दिलों में जो अँधेरा है, उसे हम दूर कर देंगे
मिटा कर के अंधेरों को, दिलो में प्रेम भर देंगे…मनाएं हम तरीकें से तो रोशन ये चमन होगा
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा ये वतन होगा
धरा अपनी, गगन अपना, जो बासी वो भी अपने हैं
हकीकत में वे बदलेंगे, दिलों में जो भी सपने हैं…
Deepawali Par Kavita in Hindi
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँहम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
Deepawali Par Kavita in Hindi 2018
दीप शिखा की लौ कहती है, व्यथा कथा हर घर रहती है,
कभी छिपी तो कभी मुखर बन, अश्रु हास बन बन बहती है
हाँ व्यथा सखी, हर घर रहती है…
बिछुडे स्वजन की याद कभी, निर्धन की लालसा ज्योँ थकी थकी,
हारी ममता की आँखोँ मेँ नमी, बन कर, बह कर, चुप सी रहती है,
हाँ व्यथा सखी, हर घर रहती है!
नत मस्तक, मैँ दिवला, बार नमूँ
आरती, माँ, महालक्ष्मी मैँ तेरी करूँ,
आओ घर घर माँ, यही आज कहूँ,
दुखियोँ को सुख दो, यह बिनती करूँ,
माँ, देख, दिया, अब, प्रज्वलित कर दूँ!
दीपावली आई फिर आँगन, बन्दनवार, रँगोली रची सुहावन !
किलकारी से गूँजा रे प्राँगन, मिष्ठान्न अन्न धृत मेवा मन भावन!
देख सखी, यहाँ फूलझडी मुस्कावन!
जीवन बीता जाता ऋउतुओँ के सँग सँग,
हो सबको, दीपावली का अभिनँदन!
नव -वर्ष की बधाईई, हो, नित नव -रस!
Deepawali Par Kavita in Hindi – दीवाली पर कविता | दीपावली पर कविता
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दीपावली पर कविता “मन से मन का दीप जलाओ”
मन से मन का दीप जलाओ
जगमग-जगमग दिवाली मनाओबनियो के घर बंदनवार सजतीनिर्धन के घर लक्ष्मी न ठहरतीमन से मन का दीप जलाओघृणा-द्वेष को मिल दूर भगाओघर-घर जगमग दीप जलतेनफरत के तम फिर भी न छंटतेजगमग-जगमग मनती दिवालीगरीबों की दिखती है चौखट खालीखूब धूम धड़काके पटाखे चटखतेआकाश में जा ऊपर राकेट फूटतेकाहे की कैसी मन पाए दिवालीअंटी हो जिसकी पैसे से खालीगरीब की कैसे मनेगी दीवालीखाने को जब हो कवल रोटी खालीदीप अपनी बोली खुद लगातेगरीबी से हमेशा दूर भाग जातेअमीरों की दहलीज सजातेफिर कैसे मना पाए गरीब दिवालीदीपक भी जा बैठे हैं बहुमंजिलों परवहीं झिलमिलाती हैं रोशनियांपटाखे पहचानने लगे हैं धनवानों कोवही फूटा करती आतिशबाजियांयदि एक निर्धन का भर दे जो पेटसबसे अच्छी मनती उसकी दिवालीहजारों दीप जगमगा जाएंगे जग मेंभूखे नंगों को यदि रोटी वस्त्र मिलेंगेदुआओं से सारे जहां को महकाएंगेआत्मा को नव आलोक से भर देगेंफुटपाथों पर पड़े रोज ही सड़ते हैंसजाते जिंदगी की वलियां रोज है
कौन-सा दीप हो जाए गुम न पतादिन होने पर सोच विवश हो जाते
दीवाली पर कविता हिंदी में 2018
जगमग-जगमग दीप जले आई दिवाली
घर-घर में नाच रही है खुशहाली।दूर हुए अंधियारे, लगें उजले पहरजगमगा उठे हैं हर गांव, हर शहरधरती आसमान पर छाई,खुशियों की लाली।दीप धरे बालक-बाला मुंडेरों पररंग रंगोली से सजाए हैं कैसे घरवंदनवार लगाए द्वार सजाएलगाए झूमर मोली।चुन्नू-मोनी फोड़ रहे हैं पटाखेरामू-श्यामू भी कर रहे हैं धमाके,खुशियों से भर ली, पटाखों की झोली।भेदभाव भुलाकर, गले मिल रहे हैं
गीत खुशी के गाए, कैसे झूम रहे हैंमन में स्नेह भाव, बोले मीठी बोली।
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