
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता 2018- Krishna Janmashtami Kavita in Hindi
कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता 2018: Aaj hum apni post ” हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता 2018 – Krishna Janmashtami Kavita in Hindi ” ke madhyam se aapke liye laaye hai, हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता 2018. Jinhe aap apne yaar dosto aur relativo ke saath jaroor share karna. हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता – Krishna Janmashtami Kavita in Hindi .
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।रात अँधेरी अष्टमी।
महीना था वो भादो।नन्द भी नाचे और नाची थी मैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
Krishna Janmashtami Kavita in Hindiमाखन चोर कहाये तुम।
खुद भी खाया – सबको खिलाया।पी गए थे तुम दहिया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।गोपी संग में रास रचाया।
राधा संग त्योहार मनाया।वृन्दावन के अमर नचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।उस रास रंग में वृन्दावन के –
क्यों न तब हमको भी मिलाया।हम भी बनते रास रचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविताछोड़ के पीछे सबको तुमने।
त्याग उदाहरण पेश किया।वापस आओ धूम मचैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।पाप बढ़े थे कंसराज में –
बढ़ रही थी बुराइयाँ।खुशियां बांटी कंस वधैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता
Krishna Janmashtami Kavita in Hindi
अगर आप श्री बांकेबिहारी लाल हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता , Krishna Janmashtami Kavita in Hindi For Laddu Gopal , हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता प्यारे भक्तों के लिए , Krishna Janmashtami Kavita in Hindi For Mathura Wasi , Krishna Janmashtami Kavita in Hindi for Gokul Dham , हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता यदुवंशियों के लिए 2018 , Krishna Janmashtami Kavita in Hindi Apne Desh Wasiyo Ke Liye , हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता विदेशी भी जिनके भक्त है . हिंदी में पढ़ना चाहते है तो यह से पढ़ सकते है | साथ ही ये भी पढ़े श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये & हैप्पी ओणम शायरी 2018 इन हिंदी |
बांसुरी वादन से, खिल जाते थे कमल
वृक्षों से आंसू बहने लगते,
स्वर में स्वर मिलाकर, नाचने लगते थे मोर ।
गायें खड़े कर लेतीं थी कान,
पक्षी हो जाते थे मुग्ध,
ऐसी होती थी बांसुरी तान… ।नदियां कल-कल स्वरों को,
बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक
साथ में बहाकर ले जाती थी, उपहार कमल के पुष्पों के,
ताकि उनके चरणों में, > रख सके कुछ पूजा के फूल ।ऐसा लगने लगता कि, बांसुरी और नदी मिलकर, करती थी कभी पूजा ।
जब बजती थी बांसुरी, घनश्याम पर बरसाने लगते, जल अमृत की फुहारें ।अब समझ में आया, जादुई आकर्षण का राज
जो आज भी जीवित है, बांसुरी की मधुर तान मेंमाना हमने भी, > बांसुरी बजाना पर्यावरण की पूजा करने के समान है,
जो कि हर जीव में प्राण फूंकने की क्षमता रखती,
और सुनाई देती है कर्ण प्रिय बांसुरी ।
श्री बांकेबिहारी लाल हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता
कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं!
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!प्रेम का सागर लिखूं! या चेतना का चिंतन लिखूं!
प्रीति की गागर लिखूं या आत्मा का मंथन लिखूं!
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं!
कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं।
चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविताजेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं।
देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!गोपियों का प्रिय लिखूं या राधा का प्रियतम लिखूं।
रुक्मणि का श्री लिखूं या सत्यभामा का श्रीतम लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!देवकी का नंदन लिखूं या यशोदा का लाल लिखूं।
वासुदेव का तनय लिखूं या नंद का गोपाल लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!नदियों-सा बहता लिखूं या सागर-सा गहरा लिखूं।
झरनों-सा झरता लिखूं या प्रकृति का चेहरा लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
Krishna Janmashtami Kavita in Hindiआत्मतत्व चिंतन लिखूं या प्राणेश्वर परमात्मा लिखूं।
स्थिर चित्त योगी लिखूं या यताति सर्वात्मा लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं!
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
Krishna Janmashtami Kavita in Hindi For Laddu Gopal
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन!
मन मेरा बन गया सखी री सुँदर वृँदावन
कान्हा की नन्ही ऊँगली पर नाचे गोवर्धन
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन!
मन मेरा बन गया सखी री सुँदर वृँदावन।
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविताश्याम सांवरे, राधा गोरी, जैसे बादल बिजली!
जोड़ी जुगल लिए गोपी दल, कुञ्ज गलिन से निकली,
खड़े कदम्ब की छांह, बांह में बांह भरे मोहन!
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन !वही द्वारिकाधीश सखी री, वही नन्द के नंदन!
एक हाथ में मुरली सोहे, दूजे चक्र सुदर्शन!
कान्हा की नन्ही ऊँगली पर नाचे गोवर्धन!
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन
Krishna Janmashtami Kavita in Hindiजमुना जल में लहरें नाचें , लहरों पर शशि छाया!
मुरली पर अंगुलियाँ नाचें , उँगलियों पर माया!
नाचें गैय्याँ , छम छम छैँय्याँ , नाच रहा मधु – बन!
राधा नाचे कृष्ण नाचे , नाचे गोपी जन!
मन मेरा बन गया सखी री सुँदर वृँदावन.
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता प्यारे भक्तों के लिए
हमारा कान्हा कहां खो गया,
खूब मस्तियां हुईं,
खूब रंग उडे,
लेकिन जिंदगी का ठहराव कहां खो गया,
हमारा कान्हा कहा खो गया ।गोपियों का इंतज़ार आज भी,
राधा की मुस्कान आज भी,
लेकिन वो सच्चा प्यार कहाँ खो गया,
हमारा कान्हा कहाँ खो गया ।
Krishna Janmashtami Kavita in Hindiयशोदा की चिंता आज वही,
नंदा का विश्वास आज वही,
लेकिन माता पिता का सम्मान कहां खो गया,
हमारा कान्हा कहां खो गया ।दोस्तों की टोलियां आज भी,
मर मिटने की बाते आज भी,
लेकिन वो सच्चा दोस्त कहां खो गया,
हमारा कान्हा कहां खो गया ।बाते तो बहुत हो गयी कान्हा की,
लेकिन कल के कंस और
आज के कान्हा में
अंतर क्या रह गया ।।
Krishna Janmashtami Kavita in Hindi For Mathura Wasi
मोर मुकट पीताम्बर पहने,जबसे घनश्याम दिखा
साँसों के मनके राधा ने,बस कान्हा नाम लिखा
Krishna Janmashtami Kavita in Hindiराधा से जब पूँछी सखियाँ,कान्हा क्यों न आता
मैं उनमें वो मुझमे रहते,दूर कोई न जाताद्वेत कहाँ राधा मोहन में,यों ह्रदय में समाया
जग क्या मैं खुद को भी भूली,तब ही उसको पाया।
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी पर कवितावो पहनावे चूड़ी मोहे,बेंदी भाल लगावे
रोज श्याम अपनी राधा से,निधिवन मिलवे आवेधन्य हुईं सखियाँ सुन बतियाँ,जाकी दुनिया सारी
उंगली पे नचे राधा की,वश में है गिरधारीचंचल चितवन मीठी वाणी,बंशी होँठ पे टिका
रीझा ही कब धन दौलत पे,श्याम प्रेम दाम बिकानेत्र सजल राधा से बोले,भाव विभोर मुरारी
अब मोहन से पहले राधा,पूजे दुनिया सारी।
Krishna Janmashtami Kavita in Hindi